कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच रेलवे ने अब पैसेंजर ट्रेन को चलाने का भी फैसला किया है. माना जा रहा है कि दिल्ली की तरह महाराष्ट्र से भी आने वाले कुछ हफ्तों में रेलवे अपनी सेवाएं बहाल करेगा. ऐसे में हर बार रेलवे बोगियों के इस्तेमाल के बाद उसे डिसइंफेक्ट करने की जरूरत होगी. इसलिए रेलवे के इंजीनियरों ने इस तरह की जरूरतों पर काम शुरू कर दिया है. इंजीनियरों ने ऐसी मशीन बनाई है जो चंद मिनट में ही पूरी कम्पार्टमेंट को डिसइंफेक्ट कर सकती है.

रेलवे इंजीनियरों ने बोगियों को पूरी तरह से डिसइंफेक्टेड करने के लिए एक अल्ट्रा वायलेट उपकरण बनाया है, जिससे बोगी को पूरी तरह से डिसइंफेक्ट करने का दावा किया गया है.

मध्य रेलवे के नागपुर मंडल के वरिष्ठ अभियंता अखिलेश चौबे ने रेलवे बोगी को पूरी तरह डिसइंफेक्ट करने के लिए अल्ट्रा वायलेट किरणों का इस्तेमाल करते हुए एक खास उपकरण विकसित किया है. इसका नाम “अल्ट्रा वॉयलेट ब्लास्ट” दिया गया है, जिसे एक रोबो से जोड़ा गया है.

कैसे काम करता है ‘अल्ट्रा वॉयलेट ब्लास्ट’

रिमोट कंट्रोल संचालित रोबोट रेलवे बोगी में आठ-आठ सीटों के हर कम्पार्टमेंट में इस अल्ट्रा वायलेट ब्लास्ट यंत्र को लेकर जाता है, जिसके बाद इसे रिमोट कंट्रोल से ऑन किया जाता है. दावा है कि मशीन के शुरू होते ही अल्ट्रा वायलेट किरण से 60 सेकेंड में कम्पार्टमेंट को पूरी तरह से डिसइंफेक्ट कर देता है.

दावा किया गया है कि 60 सेकेंड में जिन जगहों पर नीली रौशनी पड़ती है वह जगह पूरी तरह से डिसइंफेक्टेड हो जाता है. इसके बाद यात्री इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. हर कम्पार्टमेंट में मशीन को 60 सेकेंड लगते हैं. इस हिसाब से मशीन कुछ ही मिनटों में पूरी बोगी में अपना काम कर बाहर निकल सकता है.

लाइट, पंखे, मोबाइल चार्जिंग जैसे बिजली वाली जगहों पर सैनेटाइजर से साफ करने में काफी कठनाई होती थी लेकिन इस यंत्र से कम्पार्टमेंट के हर स्थान को डिसइंफेक्ट किया जा सकता है.

डॉक्टर आशुतोष गुप्ता, अध्यक्ष, महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिनडिसइंफेक्ट करने के लिए अल्ट्रा वॉयलेट तकनीक का इस्तेमाल मेडिकल क्षेत्र में कोई नहीं बात नहीं है. लेकिन कोरोना के संकट में नागपुर मंडल ने रेल बोगियों को डिसइंफेक्ट करने के लिए जो उपकरण बनाया है, वह कारगर है या नहीं इसका जवाब ICMR की रिपोर्ट में ही मिल सकता है. साथ ही अगर इसे हरी झंडी मिलती है तो ये सार्वजनिक स्थानों के लिए भी फायदेमंद होगा.

मध्य रेलवे के नागपुर मंडल ने इस उपकरण की जानकारी ICMR को भेजी है. अगर इस उपकरण को ICMR से हरी झंडी मिलती तो है उम्मीद कर सकते हैं रेलवे इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर सकता है.

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