एक आईएएस अधिकारी को कानपुर विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाने के लिये सवा करोड़ रुपये की डील करने के आरोपी पीयूष अग्रवाल के साथ साठगांठ में शामिल गौरी शंकर दीक्षित और कमलेश को भी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। गाजियाबाद का रहने वाले गौरीशंकर दीक्षित आईएएस का रिश्तेदार है और कमलेश के साथ एक ही कालोनी में रहता था। गौरीशंकर ने खुलासा किया कि डील में उसका और कमलेश का भी हिस्सा था। तबादला न होने पर गौरीशंकर मुख्य आरोपी पीयूष से रुपये वापस मांग रहा था। रुपये न मिलने पर ही उसने कमलेश व पीयूष के बीच बातचीत का आडियो वायरल करा दिया था। एसटीएफ के अफसरों का कहना है कि इस मामले में आगे भी कार्रवाई हो सकती है। इसके लिये शासन को कई तथ्यों से अवगत करा दिया गया है।
इस प्रकरण की जांच 15 मई को एसटीएफ को सौंपी गई थी। इस पर एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश और प्रभारी एसएसपी विशाल विक्रम सिंह ने अपनी टीम के साथ तथ्य जुटाये थे। इसके बाद ही 21 मई को एसटीएफ ने गाजियाबाद के राजनगर विस्तार स्थित सृष्टि अपार्टमेंट निवासी पीयूष अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। पीयूष ने एसटीएफ के सामने कई खुलासे किये थे। एसटीएफ को पता चला कि गौरीशंकर और कमलेश भी लखनऊ आये हुए है। कमलेश विजयंतखंड में रहता है जबकि गौरीशंकर का बाराबंकी में भी मकान है। इस पर एसटीएफ ने दबिश देकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
गौरीशंकर ने कुबूला-डील में शामिल था
एसटीएफ के मुताबिक गौरी शंकर दीक्षित ने कुबूला कि पीयूष से एक करोड़ रुपये में डील हुई थी लेकिन उसने आईएएस को सवा करोड़ रुपये देने पर केडीए का वीसी पद मिलने की बात कही थी। 25 लाख रुपये उसके और कमलेश के बीच बंटने थे। उसे तबादला होने का पूरा यकीन हो गया था, इसलिये उसने दूसरे से 15 लाख रुपये का इंतजाम कर पीयूष को दिये थे। उसी समय पीयूष ने गौरीशंकर व कमलेश को दो-दो लाख रुपये दे दिये थे। बाद में पीयूष ने लॉक डाउन की वजह से काम न होने की बात कही तो गौरीशंकर अपने रुपये मांगने लगा था। रुपये वापस न करने पर ही गौरीशंकर ने पीयूष व कमलेश के बीच बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल करा दिया था। एसटीएफ ने बताया कि गौरीशंकर, पीयूष व कमलेश पहले भी लोगों से रुपये ऐंठ चुके थे।